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SHIV MANDIR :  क्या आप जानते है रायपुर के इस शिव मंदिर का इतिहास?

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सावन महीने में शिव मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगी है. राजधानी के पूरे शिवालय हर-हर महादेव की जयघोष से गूंज रहे हैं।

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इस दौरान भगवान रायपुर के महादेवघाट स्थित हटकेश्वरनाथ मंदिर में सावन के पहले दिन भारी संख्या में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ी और भक्त मंत्रोच्चारण के बीच विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई।

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वहीँ इस मंदिर का इतिहास भी काफी पुराना है दरअसल हरिद्वार के लक्ष्मण झूला की तर्ज पर यहां बने लक्ष्मण झूला और खारून नदी में नाव की सवारी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। पास में बने गॉर्डन यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।

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रायपुर सहित अन्य जिलों के सैलानी यहां बड़ी संख्या पहुंचकर इसका आनंद लेते हैं। शहर की जीवनदायिनी नदी ‘खारुन’ तट पर स्थित ऐतिहासिक हटकेश्वरनाथ मंदिर का विशेष महत्व है।

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कहा जाता हैं 1402 ई में कल्चुरी वंश के राजा रामचंद्र के पुत्र ब्रह्मदेव राय के शासन काल में हाजीराज नाइक ने मंदिर का निर्माण करवाया था।

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ऐसी मान्यता है कि यहां नंदी महाराज के कानों में जो भक्त फरियाद या मन्नत मांगते हैं, उसकी भगवान शिव मुरादें जरूर पूरी करते हैं। सावन के महीने में यहां रायपुर और प्रदेश के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं।

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छत्तीसगढ़ के कई जिलों से श्रद्धालु कांवर लेकर पहुंचते हैं। हर साल कांवर पदयात्रा भी निकाली जाती है। धार्मिक मान्यताओं और पुराणों के अनुसार, जहां भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई के लिए रामेश्वरम में समुंद्र पर पुल बनाने की योजना बनाई तो उस समय बजरंग बली को शिवलिंग लाने के लिए कहा गया था।

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इस पर बजरंग बली शिवलिंग लाने गए। इस दौरान शिवलिंग लाने में काफी देर हुई, तो भगवान राम ने रामेश्वरम में रेत से ही विधि-विधान से पूजा अर्चना कर शिवलिंग की स्थापना कर दी थी।

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बजरंग बली को किसी नदी के किनारे उस शिवलिंग को रखने के लिए कहा गया। कहा जाता है कि भगवान हनुमान ने रायपुर में खारून नदी के तट पर शिवलिंग रखकर चले गए, जो कालांतर में हटकेश्वर नाथ, महादेव घाट के  नाम से विख्यात हुआ।