संसद में आज संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू वक्फ बिल पेश किया है. इस पर कांग्रेस और सपा के सांसंदों ने आपत्ति दर्ज कराई है, आइए जानते हैं आखिर क्या खास बातें है इस बिल से जुड़ी.
बता दें सरकार वक्फ से जुड़े दो बिल संसद में लाई इस बिल के जरिए मुसलमान वक्फ कानून 1923 को समाप्त किया जाएगा.
दूसरे बिल के जरिए वक्फ कानून 1995 में महत्वपूर्ण संशोधन होंगे,अब तक वक्फ अधिनियम, 1995 नाम था. अब संशोधन विधेयक को नया नाम दिया गया.
इसे 'एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995' नाम दिया गया है.
संशोधन विधेयक में जो व्यक्ति कम से कम पांच साल से मुस्लिम धर्म का पालन कर रहा है वही अपनी चल अचल संपत्ति को वक्फ को दान कर सकता है.
वक्फ-अलल-औलाद महिलाओं के विरासत अधिकारों से इनकार नहीं कर सकता है,वक्फ कानून 1995 के सेक्शन 40 को हटाया जा रहा है.
इस कानून के तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने का अधिकार था. लेकिन अब संपत्ति को लेकर अधिकारों पर कैंची चला दी गई है.
इस वक्फ अधिनियम की धारा 40 पर सबसे ज्यादा विवाद है. धारा 40 में प्रावधान है कि अगर वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति समझता है तो वो उसे नोटिस देकर और फिर जांच करके तय कर सकता है कि वो वक्फ की जमीन है.
वहीँ वो यह भी तय कर सकता है कि ये शिया वक्फ है या फिर सुन्नी,वक्फ बोर्ड के फैसले के खिलाफ सिर्फ ट्रिब्यूनल में ही जाने का अधिकार है.संशोधन विधेयक में कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर ही सर्वे कमिश्नर होगा.