बैलाडीला – बचेली: बैलाडीला क्षेत्र में डीएनके प्रोजेक्ट द्वारा बांग्लादेश से आये लोगो को बंगाली कैम्प में बसाया गया. एक दूसरे के दुःख शुख के साथी ये लोग। बैलाडीला की लाल पहाड़ी के नीचे 1963 से छोटे पैमाने में दुर्गा पूजा की शुरुआत किए जो आज विशाल रूप ले कर 60 वर्ष पूरा कर चुका है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बंगिया समाज के लोगो ने विधिविधान के साथ पूजा अर्चना की बंगिया समाज की महिलाओं ने दशमी के दिन माँ दुर्गा के साथ सिंदूर की होली खेली और माँ को सुहाग चढ़ा कर एक दूसरी सुहागन महिलाओं को सिंदूर लगाई और आज के दिन माँ को सुहाग चढ़ा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है आज के दिन का बंगाली महिलाओं में बहुत बड़ा महत्व है।
बंगिया समाज मे सिंदूर दान और लक्ष्मी पूजा का क्या है महत्व…..
बंगाली समाज साल भर दुर्गा पूजा का इन्तेजार करता है गरीब हो या आमिर हर कोई बड़े ही धूमधाम से दुर्गा पूजा मानते है. बंगिया समाज के लोगो का कहना है कि माँ अपने मायके में बेटी की रूप के आई हुई है जिनकी विदाई की जा रही है.जिसके लिए सिंदूर दान की परंपरा है माँ के साथ सिंदूर की होली खेली जाती है। बीटी की विदा बड़े ही धूमधाम से ये सोच कर की जाती है कि अगले वर्ष माँ फिर से आएंगी और ढेर सारी खुशियां लाएंगी। माँ आज मायके से विदा होकर 5 वे दिन अपने सुसराल पहुचेंगी जहा सुसराल में माँ का बहु के रूप में स्वागत होता है जिसको लक्ष्मी पूजा के रूप में मनाया जाता है।