Coal Scam:बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में कथित रूप से हुए कोयला लेवी घोटाले के मामले में जेल में बंद आरोपियों को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने मामले के कथित सरगना रजनीकांत तिवारी को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जमानत देने से मना कर दिया है. इसके साथ ही इस मामले में पहले से जेल में बंद सूर्यकांत तिवारी व सौम्या चौरसिया समेत अन्य को झटका लगा है.
Coal Scam:बता दें कि ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले की जांच कर एक-एक कर रजनीकांत तिवारी, उसके भाई सूर्यकांत तिवारी और मुख्यमंत्री की पूर्व उपसचिव व राज्य प्रशासनिक सेवा की अफसर सौम्या चौरसिया समेत 5 अन्य को गिरफ्तार किया. कोर्ट में पेश करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया. सभी अभी जेल में हैं. इसके साथ ही अलग-अलग समय में उन्होंने जमानत के लिए आवेदन भी हाईकोर्ट में पेश किया है. इसी कड़ी में अब रजनीकांत ने भी याचिका दायर की थी.
Coal Scam:कोर्ट में ये दिया था तर्क
Coal Scam:रजनीकांत के वकील ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान उसके पक्ष में तर्क दिया. इसमें कहा कि आवेदक पीएमएलए, 2002 की धारा 45 के तहत दिए गए अपवादों के तहत लाभ का हकदार हो सकता है. ऐसे में उसे जेल से बाहर आने की अनुमति मिलनी चाहिए और उसे जमानत दी जानी चाहिए.
Coal Scam:हाईकोर्ट ने ये कहकर किया खारिज
Coal Scam:न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास की पीठ ने तर्क सुनने के बाद कहा कि उन्होंने जानबूझकर और सक्रिय रूप से जबरन वसूली रैकेट में भाग लिया. अवैध नकदी का प्रबंधन करने वाले एकाउंटेंट के रूप में कार्य किया है. पहली नजर में आवेदक की संलिप्तता मामले में परिलक्षित होती है, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा इकट्ठा किए गए सबूतों का खंडन नहीं किया गया है. इसे देखते हुए, कानून, अपराध की गंभीरता, गवाहों के गुस्से की संभावना और प्रथम दृष्टया इस तथ्य पर विचार करते हुए कि आवेदक अग्रिम जमानत देने के लिए पीएमएलए, 2002 की धारा 45 की जुड़वां शर्तों को पूरा करने में असमर्थ है, अदालत जमानत याचिका याचिका खारिज करती है.
Coal Scam: ये है आरोप
Coal Scam:ईडी ने जांच के बाद इन सभी के खिलाफ लगाए आरोप में कोर्ट के समक्ष जानकारी साझा की है. इसमें बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में कोयले के परिवहन करने के दौरान 25 रुपये प्रति टन की लेवी वसूलने के लिए वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों को शामिल करते हुए एक कार्टेल चला रहे थे. इन सभी पर आईपीसी की धारा 186, 204, 353, 120बी, 384, धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है.