liquor scam: शराब घोटाले के आरोपियों पर नोएडा में FIR: 2 IAS सहित इन कारोबारी पर केस दर्ज

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liquor scam: रायपुर: शराब घोटाला मामले को लेकर बड़ी खबर हैं. ED ने नोएडा के कासना थाना में शराब घोटाले के आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करवाई है। अब नोएडा की पुलिस इन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है उनमें आबकारी विभाग के अधिकारी रह चुके ITS अफसर अरुण पति त्रिपाठी, आईएएस निरंजन दास, होलोग्राम कारोबारी विधु गुप्ता, अनवर ढेबर और एक वरिष्ठ आईएएस ऑफिसर शामिल है। इन सभी के खिलाफ धारा 420, 468 ,471 ,473 ,484, 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया है।

 

liquor scam: क्या है नोएडा में दर्ज FIR में

 

liquor scam: शराब घोटाला जांच में ED को पता चला कि नोएडा स्थित आरोपी विधू गुप्ता की कंपनी मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को अवैध तरीके से खड़ा किया गया। इसे गलत तरीके से छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग को होलोग्राम की आपूर्ति के लिए टेंडर दिया गया। इस कंपनी के मालिकों, राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का काम किया।

liquor scam: इसमें अरुणपति त्रिपाठी आईटीएस (विशेष सचिव उत्पाद शुल्क), निरंजन दास आईएएस (आबकारी आयुक्त), समेत एक और IAS निविदा से जुड़ी प्रक्रिया को मॉनिटर कर रहे थे। इन्होंने ही टेंडर कंपनी को दिया। बदले में, उन्होंने प्रति होलोग्राम 8 पैसे का कमीशन लिया।

 

liquor scam: नोएडा में डुप्लीकेट होलोग्राम बनाने वाले कारोबारी गुप्ता ने ED की जांच मंे बताया कि अरुण पति त्रिपाठी मुझे टेलीफोन पर कई सीरियल नंबर देते थे, ये होलोग्राम की संख्या वो होती थी जो पहले ही मुद्रित की जा चुकी है और उत्पाद शुल्क को आपूर्ति की जा चुकी है। इसके बाद फर्जी होलोग्राम बनते थे। इसे शराब की बोतलों पर लगा दिया जाता था। इससे राज्य के खजाने को 1200 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ और आरोपियों को अवैध लाभ हुआ।

 

liquor scam: घोटाले की जांच पर रोक, अब पुलिसिया एक्शन शुरू

liquor scam: दो सप्ताह पहले छत्तीसगढ़ में ईडी की ओर से दर्ज 2000 करोड़ रुपए की कथित आबकारी गड़बड़ी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अनुसूचित अपराध के अभाव में कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच पर ही रोक लगा दी है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि इस मामले में अफसरों पर कोई दंडात्मक या कठोर कार्रवाई ना हो। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं को भी अंतरिम संरक्षण दिया है। अब ED ने नोएडा में केस दर्ज करवाकर ये साफ कर दिया है कि दूसरे तरीके से आरोपियों को घेरने का प्रयास जारी रहेगा।