हमारे शौर्य की गाथा -कारगिल विजय दिवस, देशदीपक सिंह ने कही ये बड़ी बात

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भिलाई: जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में स्मृतिनगर भिलाई स्थित विवेकानंद सभागार में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर सेना के जवानों के पराक्रम, शौर्य और बलिदान को स्मरण करने बड़ी संख्या में नगरवासी उपस्थित हुए। कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए देशदीपक सिंह ने कहा कि ‘आज का दिन भारतमाता के लिए सीमा पर डटे उसके रणबाकुरे पुत्रों के अदम्य शौर्य व उत्कृष्ट बलिदान से सृजित गौरव गाथा का दिन है। स्वर्णिम ‘ऑपरेशन विजय’ हमारे आत्मसम्मान व गौरव से दीप्तिमान है।’

वक्ता अम्बरीश त्रिपाठी ने कारगिल की भौगोलिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ‘दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियां 18000 फिट ऊँचाई, जहाँ -48डिग्री के तापमान में श्वसन नलिकाएं जरूरत भर की ऑक्सीजन शरीर को नही दे पा रही थी, आवश्यक संसाधनों तक का अभाव था। लेकिन यह सब हमारे जवानों के हौसले, पराक्रम व निष्ठा को रंच मात्र हिला न सके। हम सत्य के लिए संघर्ष करने वाले हैं, यही हमारा धर्म है। हमने अपने बाहुबल से आज की (26 जुलाई 1999) तारीख तक अपने बटालिक, टाइगर हिल सहित सारे पॉइंट्स पर वापस तिरंगा फहरा दिया।’

 

 

 

विशिष्ट वक्ता डॉ एस.आर.ठाकुर ने अमर वीर सैनिकों की शहादत को याद करते हुए कहा कि ‘स्वतंत्रता का अपना ही मूल्य होता है, जिसे हमारे वीर सैनिक अपने रक्त से अदा करते हैं। कैप्टन मनोज पांडेय, कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन अनुज नैय्यर, कैप्टन सौरभ कालिया सहित 527 लोगों की वीरगति ने हमारी आजादी की गारण्टी प्रदान की है; देश का शायद ही कोई कोना रहा हो जहाँ के जवान अपनी इस मातृभूमि के लिए न्योछावर न हुए हों।

 

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक भी उपस्थित थे थल सेना के पूर्व सैनिक श्री शिरके श्री संतोष सिन्हा वायु सेना के पूर्व वायु सैनिक श्री राहुल अय्यागिरी आदि। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्व हिंदू परिषद के नगर अध्यक्ष श्री राजीव चौबे ने की कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन जम्मू कश्मीर और लद्दाख अध्ययन केंद्र के प्रांतीय सह सचिव देश दीपक सिंह ने किया कार्यक्रम का समापन श्रीमती गीता सिंह के ‘वंदे मातरम’ गायन से हुआ।