भारत में मनाये जाने वाले कई प्रमुख त्योहार में से एक है जगन्नाथ पर्व यह मुख्य रूप से उड़ीसा का पर्व है, लेकिन अब लगभग सभी जगह इसे मनाया जाने लगा है.

हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है और इस साल यह यात्रा 20 जून को निकाली जाएगी.

आज भी जगन्नाथ यात्रा से पहले उनके बीमार होने की यह परंपरा निभाई जाती है.

पहले ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि के भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा जी को 108 घड़ों के जल से स्नान कराया जाता है, जिसे सहस्त्रधारा स्नान नाम दिया गया है.

मान्यता है कि ठंडे पानी से स्नान के बाद जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी बीमार हो जाते हैं.

फिर उन्हें 15 दिनों के लिए एकांतवास में रखा जाता है और इस दौरान मंदिर के कपाट बंद रहते हैं.

एकांतवास के दौरान जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी का वैद्य द्वारा इलाज किया जाता है.

यह परंपरा बिल्कुल इस तरह निभाई जाती है जैसे कि आम लोगों का इलाज किया जा रहा हो.

15 दिन बाद जब भगवान ठीक हो जाते हैं तब उनकी रथ यात्रा निकाली जाती है.जिसमे भक्तों की भीड़ भगवान के दर्शन के लिए उमड़ती है

.जगन्नाथ जी के बीमार होने के बाद 15 दिनों के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं क्योंकि इस दौरान तीनों का इलाज किया जाता है

. ऐसे में भक्त सीधे तौर पर भगवान का दर्शन नहीं कर सकते, बल्कि इस दौरान भगवान की छवि दिखाई जाती है और उसी के दर्शन किए जाते हैं.

ALSO READ

ALSO READ