ज़्यादा देर तक सोने के वजह से होता है स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव, शारीरिक और मानसिक नुक़सान
ज़्यादा देर तक सोने के कुछ नुक़सान हो सकते हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर असर डाल सकते हैं:
शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएँ: बहुत देर तक सोने से शरीर की गतिविधियों में कमी आ जाती है, जिससे वजन बढ़ सकता है और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर: ज़्यादा सोने से मूड स्विंग्स और अवसाद का जोखिम बढ़ सकता है। इससे मानसिक थकावट और सुस्ती भी महसूस हो सकती है।
सोने का पैटर्न बिगड़ना: अगर आप बहुत देर तक सोते हैं, तो आपका सोने और जागने का पैटर्न गड़बड़ा सकता है। इससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है और नींद संबंधी विकार हो सकते हैं।
सामाजिक और पेशेवर जीवन पर असर: ज़्यादा सोने से आप अपने काम और सामाजिक गतिविधियों के लिए कम समय निकाल पाएंगे, जिससे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन प्रभावित हो सकता है।
संतुलित नींद लेना महत्वपूर्ण है। सामान्यतः, वयस्कों के लिए 7-9 घंटे की नींद उचित मानी जाती है। अगर आपको ज़्यादा सोने की आदत हो गई है
या फिर इससे जुड़ेस्वास्थ्य समस्याएँ महसूस हो रही हैं, तो एक चिकित्सक से सलाह लेना अच्छा रहेगा।