डीके ठाकुर /गरियाबंद -राजिम-नवापारा। अंचल के साहित्यकारों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पोस्टकार्ड में मांग पत्र लिखकर अविलंब राजिम को जिला बनाने की मांग की है। उन्होंने जिला से संबंधित रचनाएं भी पढ़ी। शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने कहा कि थमेगा तभी यह सिलसिला, बनेगा जब राजिम जिला। ऐसे ही अनेक कवियों ने कविताएं पढ़कर मुख्यमंत्री भूपेश कका से राजिम जिला की मांग रखी। उल्लेखनीय प्रयाग साहित्य समिति के मासिक काव्य गोष्ठी में बड़ी संख्या में अंचल के कवि एवं साहित्यकार उपस्थित हुए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर पंचायत उपाध्यक्ष रेखा कुलेश्वर साहू थे। अध्यक्षता प्रयाग समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन ने किया। विशिष्ट अतिथि की आसंदी पर वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश चौहान तथा नूतन साहू मौजूद थे। इस मौके पर कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने कहा कि सीताबाड़ी में हुई खुदाई के आधार पर राजिम को तीसरी शताब्दी ईसा पूर्वी का नगर माना जाता है।
भगवान राजीवलोचन एवं कुलेश्वरनाथ महादेव की वर्षों पुरानी मंदिर है इसे प्रदेश का प्रयागराज माना गया है तथा तीन नदियों का संगम होने के कारण त्रिवेणी संगम की मान्यता प्राप्त है। धर्म अध्यात्म, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्व इस भूमि की पहचान है। इसे जिला बनाना अत्यंत जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि जिस ढंग से राजिम का विकास होना चाहिए नहीं हो पाया है जिला बनने से चार चांद लगेंगे।
नवापारा से पहुंचे साहित्यकार तुकाराम कंसारी ने कहा कि हम सभी साहित्यकार पोस्टकार्ड लिखकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से राजिम जिला की मांग किए हैं। राजिम जिला का अधिकार रखता है। जिसे प्रदेश सरकार को पूरा करना चाहिए। कवि नूतन साहू ने हाथ उठाकर राजिम जिला बनना चाहिए का नारा देते हुए कहा कि राजिम व्यापारिक नगरी है। सैकड़ों गांव के लोगों का लेन-देन इस शहर से लगा हुआ है। फिंगेश्वर, छुरा, गरियाबंद, मैनपुर, देवभोग, मगरलोड, अभनपुर,आरंग ब्लॉक के कई गांव के लोग अपने विभिन्न काम लेकर राजिम पहुंचते हैं उन्हें इधर-उधर ना भटककर राजिम अच्छा लगता है।
वैसे भी जिला मुख्यालय गरियाबंद 45 किलोमीटर दूर है। राजधानी रायपुर 45 किलोमीटर पर स्थित है तथा अन्य जिला मुख्यालय 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होने के कारण क्षेत्र का विकास ठीक से नहीं हो पा रहा है। राजिम के प्रति लोगों की श्रद्धा है विश्वास है। जिला मुख्यालय बन जाए तो जिला स्तर के अधिकारी बैठेंगे और शासन की एक – एक योजनाएं उनके द्वार तक पहुंचेंगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रेखा कुलेश्वर साहू ने कहा कि नगर पंचायत ने राजिम को जिला बनाने का प्रस्ताव पारित कर चुका है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल निश्चित रूप से इस दिशा में सकारात्मक परिणाम जरूर देंगे। कवि गोकुल सेन ने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में राजिम अत्यंत समृद्ध भूमि है। पंडित सुंदरलाल शर्मा ने सन् 1905 में छत्तीसगढ़ी में दानलीला लिखकर पूरे हिंदुस्तान में धूम मचा दी।
उसके बाद से लगातार साहित्य रचना हो रही हैं। आजादी के आंदोलन से लेकर छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में यहां के रचनाकारों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। राजिम को जिला बनाने की मांग हम सभी साहित्यकार प्रदेश के मुखिया से रख रहे हैं। हमें पूरा विश्वास है हमारे द्वारा लिखा गया यह पोस्टकार्ड अभियान कभी व्यर्थ नहीं जाएगा और राजिम जरूर जिला बनेगा। गीतकार रामेश्वर रंगीला ने कहा कि कवि एवं साहित्यकारों के द्वारा लिखा हुआ शब्द इतिहास बनाते हैं।
कवयित्री सरोज कंसारी ने कहा कि प्रदेश का सबसे बड़ा मेला राजिम में लगता है जिसमें तीन जिला के अधिकारी कर्मचारी 15 दिनों तक सेवा देते हैं। और कार्यक्रम को सफल बनाते हैं। जिला बन जाने से समुचित विकास होगा।