CG gold mine

gold mine: क्या आप जानते हैं नीलाम होने जा रही Gold की खदान: जानिए छत्तीसगढ़ के किस जिले में हैं … आप भी अजमा सकते हैं किस्मत

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gold mine: जिले बाघमारा इलाके में 608 हेक्टेयर में यह खदान फैली है। सरकार ने छत्तीसगढ़ के बालोदा बाजार जिले में मौजूद सोने की खदान की नीलामी की है जो इतिहास में सोने की खदान की पहली नीलामी है। इस खादान की नीलामी वेदांता प्राइवेट लिमिटेड ने शनिवार को आईबीएम (इंडियन ब्यूरो ऑफ माइनिंग) के 12.55 प्रतिशत की कीमत पर नीलामी की है जिसके तहत 74,712 रुपए प्रति 31.10 ग्राम के हिसाब से सरकार को देना होगा।

 

 

 

CG gold mine
CG gold mine

gold mine: सरकार का अनुमान है कि इस खदान से कम से कम 2700 किलो यानी 27 क्विंटल सोना निकलेगा जिससे सरकार को 81.40 करोड़ रुपए मिलेंगे। गौरतलब है कि नीलाम की गई इस खदान के अलावा भी देश में सोने की खदानें हैं जिनसे अब तक सैकड़ों क्विंटल सोना निकाला जा चुका है।

gold mine: देश में सबसे पुरानी है सोने की खदान हट्टी

gold mine: सोने की खदानों के लिए मशहूर कर्नाटक में हट्टी गोल्ड माइन दुनिया की सबसे पुरानी खदानों में से एक है। इस खदान से सोना निकालने काम सम्राट अशोक के शासनकाल से भी पहले से हो रहा है। सोने की इस प्राचीनतम खदान का नाम हट्टी इसलिए पड़ा ‌कि यह रायचूर जिले हट्टी नाम के कस्बे में है।प्राचीन काल से हो रही खुदाई में अब हट्टी खदान को 2300 फुट गहराई तक खोदा जा चुका है। जानकारी के अनुसार, 1902 के आस पास जब सोने का भाव 18 रुपए प्रति 10 ग्राम था तब 1902 से 1919 तक यहां से 7400 किलो यानी 74 क्विंटल सोना निकाला गया था। लेकिन 1920 में यह खदान कुछ दिन के लिए बंद कर दी गई।

gold mine: हैदराबाद के निजाम ने 1940 में इलाके का फिर से निरीक्षण कराया और इलाके के लोगों को रोजगार उपलब्‍ध कराने के लिए फिर से खदान को चालू कराने का निर्णय लिया। 1940 में निजाम सरकार ने 100 मीटरी टन प्रति‌दिन के हिसाब से कच्चा माल निकालने का प्लांट लगवाया जो कुछ दिन तक चला लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू होने के कारण 1942 से 46 तक के लिए फिर से खदान बंद हो गई।इसके बाद आजादी के बाद 1948 में फिर से शुरू हुई जिसके बाद से अब तक सैकड़ों क्विंटल सोना निकाला जा चुका है।

gold mine: कोलार की खदान से अंग्रेजों ने लूटा सोना

gold mine: सोना उत्पादन के लिए मशहूर देश की दूसरी बड़ी खदान है कर्नाटक के कोलार जिले की खदान। यह खदान भी दो हजार साल पहले की है। इतिहासकारों का मानना है कि गुप्तवंश के काल से यहां सोने की खुदाई का काम चल रहा है। गुप्त वंश के दौरान यहां 50 मीटर की गहराई पर ही सोना और चांदी का कच्चा माल निकलता था। समयपरिवर्तन और सत्ता परिवर्तन के साथ-साथ खदान की खुदाई काम भी बदलता रहा है। सोलहवीं सदी में मुगल शासक टीपू सुल्तान ने यहां सोने की खुदाई का काम कराया है। हालांकि इस दौरान यहां से कितना सोना निकाला गया.

gold mine: इस बात के आंकड़े नहीं मिल पाए. इसके बाद 19 वीं शताब्दी में 1802 में ब्रितानी कमांडर जॉन वारेन कोलार पहुंचा और कैंप लगाकर सोने खुदाई की संभावनाओं की तलाश की थी। फिर इसके परिणाम स्वरूप अंग्रेजी हुकूमत ने मशीनों का इस्तेमालकर जमकर यहां से सोना निकाला। देश आजाद होने के बाद कोलार की खदाने भारत सरकार के कब्जें में आई और फिर 2001 तक यहां सोने का खनन हुआ। 2001 में यहां से बहुत ही कम मात्रा में सोना निकलने पर सरकार ने इसे बंद करने का निर्णय लिया।

 

 

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