BJP MP Nishikant Dubey : 100 करोड़ के कर्ज घोटाले का आरोप, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी अनामिका गौतम पर एफआईआर
BJP MP Nishikant Dubey : झारखंड : झारखंड की सियासत एक बार फिर उबाल पर है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी अनामिका गौतम के खिलाफ एक नई एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें उन पर 100 करोड़ रुपये का बैंक कर्ज लेकर भुगतान न करने और आर्थिक अनियमितता का गंभीर आरोप लगा है। यह एफआईआर झारखंड पुलिस द्वारा दर्ज की गई है और यह मामला **एक प्राइवेट फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन से लिए गए कर्ज से जुड़ा है।
BJP MP Nishikant Dubey : क्या है मामला?
BJP MP Nishikant Dubey : सूत्रों के अनुसार, अनामिका गौतम पर आरोप है कि उन्होंने एक कंपनी के डायरेक्टर के तौर पर एक वित्तीय संस्था से लगभग ₹100 करोड़ का लोन लिया था। लोन लेने के दौरान गलत दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया और फंड का उपयोग तय शर्तों के खिलाफ किया गया। बाद में लोन की ईएमआई भुगतान बंद कर दी गई, जिससे मामला एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) में चला गया।
BJP MP Nishikant Dubey : एफआईआर में क्या कहा गया है?
शिकायत के आधार पर दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि अनामिका गौतम ने:
लोन के लिए फर्जी दस्तावेज और संपत्ति दिखाए
लोन मिलने के बाद रकम का दुरुपयोग किया गया
बार-बार नोटिस के बावजूद रकम वापस नहीं लौटाई
नियत समय पर किस्तें जमा नहीं की गईं
BJP MP Nishikant Dubey : परिवार के खिलाफ 47वां मुकदमा
BJP MP Nishikant Dubey : इस ताज़ा एफआईआर के साथ निशिकांत दुबे और उनके परिवार के खिलाफ कुल 47 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। भाजपा ने इस मामले को राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
BJP MP Nishikant Dubey : भाजपा का विरोध, बाबूलाल मरांडी की प्रतिक्रिया
BJP MP Nishikant Dubey : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि –राजनीतिक लड़ाई नेताओं के बीच होनी चाहिए, न कि उनके परिवारों को निशाना बनाकर। यह लोकतंत्र और राजनीतिक मर्यादा के खिलाफ है।उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है और इसे राजनीतिक प्रतिशोध’करार दिया है।
BJP MP Nishikant Dubey : बीजेपी सांसद की पत्नी पर एफआईआर ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। 100 करोड़ के कर्ज मामले में अगर आरोप सही साबित होते हैं तो यह राजनीति, व्यापार और वित्तीय संस्थानों की सांठगांठ** का बड़ा मामला बन सकता है। वहीं भाजपा इसे सरकार द्वारा विपक्ष को दबाने की साजिश बता रही है। मामले की निष्पक्ष जांच और राजनीतिक विवाद से इतर कानूनी कार्रवाई की निगरानी अब जरूरी हो गई है।